शीत लहर से भगवान बांके बिहारी को बचाने के लिए पूरे इंतजाम हैं। चांदी की अंगीठी में आग जलाई जा रही है और सनिल के गर्म वस्त्र उन्हें पहनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही भोग में भी ठंड का पूरा ध्यान है। सूखे मेवे, केसर युक्त हलवा और गर्म दूध का भोग लगाया जा रहा है, ताकि बिहारी जी को सर्दी न लग जाए।
बदलते मौसम के साथ ठाकुर बांके बिहारीजी के पहनावे, खान-पान और दर्शन-आरती के समय में बदलाव हो चुका है। गर्मी के दिनों में जहां शीतल पेय पदार्थों का भोग में प्रयोग होता है, फूल बंगले सजाये जाते हैं। वहीं शरद ऋतु आते ही उन्हें गर्म तासीर वाली खाद्य सामग्री का प्रसाद लगाया जाता है।
चार पहर परोसा जा रहा भोग- ठा. बांके बिहारीजी को सुबह श्रृंगार आरती के दौरान बालभोग, दोपहर को राजभोग, शाम को मंदिर के पट खुलने पर उत्थापन भोग और रात को शयन भोग परोसे जाते हैं। इसके अलावा रात को मंदिर के पट बंद होने के दौरान केसर दूध और पान का बीड़ा भी परोसा जाता है। सर्दी के दिनों में भोग में काजू, बादाम, चिलगोजा, पिस्ता समेत पंचमेवा प्रयोग में लायी जा रही है । वहीं दूध, खीर और हलवा में केसर की मात्र बढ़ा दी गई है।
हिना इत्र का हो रहा प्रयोग- बांके बिहारीजी को स्नान और श्रृंगार में हिना इत्र का प्रयोग हो रहा है। सर्द मौसम में हिना इत्र से गर्माहट देने की कोशिश की जा रही है।
सनिल की रजाई, गद्दा, तकिया- दिनभर भक्तों को दर्शन देने के बाद रात को भगवान को सुख सेज पर शनील की रजाई, गद्दा व तकिया पर ही आराम करवाया जा रहा है, जिससे ठाकुरजी को सर्दी से बचाया जा सके।
भक्तों के लिए बिछी कारपेट- मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन करने पहुंच रहे भक्तों को सर्दी से राहत देने को प्रबंधन ने मंदिर प्रांगण में कारपेट बिछाया है।
बदलते मौसम के साथ ठाकुर बांके बिहारीजी के पहनावे, खान-पान और दर्शन-आरती के समय में बदलाव हो चुका है। गर्मी के दिनों में जहां शीतल पेय पदार्थों का भोग में प्रयोग होता है, फूल बंगले सजाये जाते हैं। वहीं शरद ऋतु आते ही उन्हें गर्म तासीर वाली खाद्य सामग्री का प्रसाद लगाया जाता है।
चार पहर परोसा जा रहा भोग- ठा. बांके बिहारीजी को सुबह श्रृंगार आरती के दौरान बालभोग, दोपहर को राजभोग, शाम को मंदिर के पट खुलने पर उत्थापन भोग और रात को शयन भोग परोसे जाते हैं। इसके अलावा रात को मंदिर के पट बंद होने के दौरान केसर दूध और पान का बीड़ा भी परोसा जाता है। सर्दी के दिनों में भोग में काजू, बादाम, चिलगोजा, पिस्ता समेत पंचमेवा प्रयोग में लायी जा रही है । वहीं दूध, खीर और हलवा में केसर की मात्र बढ़ा दी गई है।
हिना इत्र का हो रहा प्रयोग- बांके बिहारीजी को स्नान और श्रृंगार में हिना इत्र का प्रयोग हो रहा है। सर्द मौसम में हिना इत्र से गर्माहट देने की कोशिश की जा रही है।
सनिल की रजाई, गद्दा, तकिया- दिनभर भक्तों को दर्शन देने के बाद रात को भगवान को सुख सेज पर शनील की रजाई, गद्दा व तकिया पर ही आराम करवाया जा रहा है, जिससे ठाकुरजी को सर्दी से बचाया जा सके।
भक्तों के लिए बिछी कारपेट- मंदिर में अपने आराध्य के दर्शन करने पहुंच रहे भक्तों को सर्दी से राहत देने को प्रबंधन ने मंदिर प्रांगण में कारपेट बिछाया है।
Source: Daily Horoscope 2015
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