Tuesday, December 9, 2014

Mathura was 65 years Nirankari Mission

शांति के संदेशवाहक निरंकारी बाबा हरदेव सिंह का जन्म 1954 में बाबा गुरवचन सिंह एवं राजमाता कुलवंत कौर के पुत्र के रूप में हुआ था। उनको बचपन से ही आध्यात्मिक वातावरण मिला। 27 अप्रैल 1980 से बाबा हरदेव सिंह सतगुरु के रूप में सबका मार्ग दर्शन कर रहे हैं। ब्रज क्षेत्र में संत निरंकारी मिशन की लहर लाने का श्रेय माता राम कौर को जाता है।

उन्होंने सर्वप्रथम अपने परिवार को गुरु चरणों से जोड़ा। 65 वर्ष पूर्व होलीगेट स्थित एक छोटे से घर में निरंकारी सत्संग शुरू हुआ। संत निरंकारी मंडल के मीडिया प्रभारी किशोर स्वर्ण ने बताया कि 60 के दशक में कृष्णानगर में संत निरंकारी सत्संग भवन का निर्माण हुआ। इसके बाद मुख्य सत्संग भवन का उद्घाटन नबादा में अप्रैल 2005 में हुआ।

जैसे-जैसे गुरु और भक्त के मिलन की घड़ी नजदीक आ रही है, निरंकारी भक्तों का उत्साह दुगना होता जा रहा है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बड़ा दर्जा प्राप्त है। सभी भक्त गुरुभक्ति की डोर में बंधकर रविवार से धौली-प्याऊ स्थित रेलवे इंस्टीट्यूट पर होने वाले निरंकारी संत समागम की तैयारियों में जुटे हैं।

निरंकारी भक्त अपने सद्गुरु बाबा हरदेव सिंह महाराज के दर्शन को जुटने लगे हैं। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, यूपी से आ रहे भक्तों में गजब का उत्साह है। गुरु भक्ति की हिलौरें समुद्र से भी गहरी हैं और आस्था का विश्वास आसमान को छू रहा है। समागम की तैयारियां तीन दिन पहले विधि-विधान से शुरू हुईं। सोमवार को दिनभर कार्यकर्ता सत्संग की तैयारियों में जुटे रहे। मंच के निर्माण से लेकर झाड़ लगाने का कार्य भक्त ही कर रहे थे। समागम मंगलवार को सुबह दस बजे शुरू होगा। इसमें प्रवचन, संकीर्तन आदि के कार्यक्रम होंगे। दोपहर एक बजे से बाबा हरदेव सिंह के प्रवचन होंगे।

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