Monday, June 30, 2014

Many parellel road transport offices running in this city

इस शहर में एक नहीं कई आरटीओ ऑफिस.!

हाल ही में प्रशासन ने छापेमारी कर आरटीओ से कई दलालों को गिरफ्तार किया. अपनी इस कार्रवाई को लेकर प्रशासन भले ही अपनी पीठ थपथपा ले, लेकिन हकीकत तो ये है कि आरटीओ में दलालों के साम्राज्य को खत्म कर पाना तभी संभव है, जब तक वहां के कर्मचारी खुद उनसे दूरी न बना लें. और आरटीओ के दलालों के मकड़जाल के बड़े खलीफा प्रशासनिक कार्रवाई की जद में आ जाएं. प्रशासन की कार्रवाई के बाद भी दलालों का काम बदस्तूर जारी है. बस उन्होंने अपना ठिकाना बदला है. आई नेक्स्ट ने आरटीओ में डीएम के छापे के बाद लगातार दो दिन, फ्राइडे और सैटरडे को दलालों की पैठ की पड़ताल की तो चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए.

ठिकाना बदलकर काम बदस्तूर जारी

आरटीओ दलालों ने प्रशासन की छापेमारी के बाद सिर्फ ठिकाना बदला है. काम उनका अभी भी बदस्तूर जारी है. आरटीओ के दलाल अभी भी अपने काम को आसानी से अंजाम दे रहे हैं. प्रशासन की छापेमारी के बाद हुई सख्ती का असर सिर्फ इतना पड़ा है कि अब वे खुद आरटीओ परिसर में नहीं जाते हैं. सारा काम फोन से ही करवा लेते हैं. आरटीओ के दलालों ने आरटीओ से अपना ठिकाना हटाकर गोल चौराहा पुल के नीचे व रावतपुर क्रासिंग के पास बनाया है. यहां से आरटीओ के सारे काम करवाए जाते हैं. कई तो घरों से बैठे फोन या वॉट्स एप पर आरटीओ अधिकारियों से काम करवा रहे हैं. जो कोई भी आरटीओ से निकलने के बाद परेशान दिखा, उसे इन दलालों के एजेंट्स चौराहे पर रोककर पूछ लिया जाता है. अगर कोई काम हुआ तो दलाल उसे तुरंत अपने हाथों में ले लेते हैं.

हर पर्ची पर होता है अपना साइन

आरटीओ के काम अब फोन व पर्ची के माध्यम से किए जा रहे हैं. जिस किसी का कोई भी काम होता है. चाहे वो डीएल बनवाना हो, आरसी से संबंधित हो या कुछ और. नाम न छापने की शर्त पर एक दलाल ने बताया कि काम के लिए संबंधित लिपिक से फोन पर बात कर ली जाती है. वहीं कई बार फोन पर बात करने के साथ-साथ एक पर्ची दे दी जाती है. जिसमें एक खास तरह का साइन होता है. जिससे लिपिक को पहचान में कोई दिक्कत न हो. अगर ज्यादा फार्म किसी काम के आ गए तो शाम को छुट्टी के बाद आरटीओ के कर्मचारियों को दे दिए जाते हैं.

मोहरों पर सितम खिलाडि़यों पर करम

आरटीओ में छापेमारी के बाद अंदर ही अंदर ये बातें चल रही हैं कि मोहरों पर ही सारी कार्रवाई हुई है. असली खिलाड़ी तो सीधे-सीधे बच निकले हैं. आरटीओ सूत्रों ने बताया कि दरअसल आरटीओ परिसर में तो बहुत ही छोटे दलाल आते हैं. जो छोटे-मोटे काम करवाकर दिन भर में फ्00-भ्00 रुपये तक कमा लेते हैं. कभी-कभी क्000 तक पहुंच जाते हैं. लेकिन आरटीओ में असली दलाली तो बड़े कामों में होती है. सिटी में चल रही कई व्हीकल्स एजेंसी, कामर्शियल वाहन स्वामी, टैम्पो-आटो स्वामी आदि अपने काम इन्हीं दलालों से करवाते हैं. बस व ट्रक के बड़े-बड़े आपरेटर्स इन्हीं बड़े दलालों के टच में रहते हैं. आलम ये है कि अपनी एसी गाडि़यों से घूमने वाले इन दलालों ने अपने और भी कई बिजनेस खड़े कर लिए हैं. जब तक ये बड़े दलाल प्रशासन की जद में नहीं आते हैं. तब तक आरटीओ से दलाली खत्म नहीं की जा सकती है.

नियुक्तियां तक दलालों के इशारे पर.!

आरटीओ का सारा भ्रष्टाचार इन्हीं बड़ी मछलियों के हवाले होता है. बड़े खेलों की सारी डीलिंग ये बड़े दलाल ही तय करते हैं. ये बड़े दलाल कभी भी आरटीओ नहीं आते हैं. इन्होंने अपने अंडर में भ्-म् लोग रखे हुए हैं. जिनके माध्यम से इनका काम होता है. आरटीओ में ऊपर से लेकर नीचे तक सबके इन मोटी मछलियों से अच्छे संबंध हैं. कई लिपिकों की तैनाती तक इन्हीं बड़ी मछलियों के इशारे पर होती है. ये दलाल बल्क में अपने काम करवाते हैं. फोन व इनके हाथों से लिखी पर्ची ही आरटीओ के अंदर काफी होती है.

शाम भ् बजे के बाद लेनदेन

आरटीओ में शाम भ् बजे के बाद हिस्से का लेनदेन होता है. आरटीओ में दिन भर जितने भी काम होते हैं. हर लिपिक करने के बाद उसे जोड़ता जाता है. शाम को भ् बजे के बाद बारी-बारी से दलाल आते हैं. और संबंधित लिपिकों को उनका हिस्सा देते जाते हैं.

आप क्यों परेशान हैं ?

आरटीओ में फैले दलालों के मकड़जाल की तह तक जाने के लिए आई नेक्स्ट ने छानबीन की तो पता चला कि आरटीओ दफ्तर सरकारी कर्मचारियों से नहीं, एक तरह से दलालों की मेहनत से ही चल रहा है. प्रशासन चाहे लाख सख्ती कर ले, बिना दलालों के आरटीओ में काम हो पाना तो संभव नहीं है. आरटीओ में अपनी बाइक के कागज ट्रांसफर कराने के लिए रिपोर्टर गया. परिसर से गोल चौराहा नरेंद्र मोहन सेतु की ओर निकलने पर श्रमायुक्त कार्यालय के सामने ही एक दलाल ने रिपोर्टर को रोक लिया. दलाल ने रिपोर्टर को काम कराने का भरोसा दिलाया. और बातचीत में रिपोर्टर को कुछ ऐसा बताया..

दलाल- क्या काम है भाई?

रिपोर्टर- बाइक के कागजात ट्रांसफर करवाने थे. आरटीओ गया तो वहां बाबू ने कल आने को कहा है.

दलाल- कल आओ या परसो ऐसे काम तो नहीं होगा.

रिपोर्टर- तो कैसे होगा. डीएम की छापेमारी के बाद तो यहां कोई काम करवाने वाला भी नहीं है. सब तो अंदर हो गए.

दलाल- सब नहीं. बस दो-चार ही अंदर गए हैं. वो भी आ जाएंगे. ये सब तो चलता रहता है.

रिपोर्टर- अरे अब हमारा काम कैसे होगा.

दलाल- हम कराएंगे. मैं आरटीओ के काम करवाता हूं.

रिपोर्टर- लेकिन करवाएंगे कैसे? अंदर तो बड़ी सख्ती है.

दलाल- हम लोग फोन से सारे काम करवा लेते हैं. जब तक सख्ती है तब तक फोन से ही करवाते रहेंगे. नहीं तो शाम को जब छुट्टी होती है. तब आरटीओ के लोग यहीं पर मिल जाते हैं. चाय के साथ सारे काम भी हो जाते हैं.

रिपोर्टर- कागज ट्रांसफर करने हैं.

दलाल- कल सुबह आ जाना अंदर एक बाबू को फोन कर दूंगा. काम हो जाएगा.

रिपोर्टर- मेरे एक दोस्त का ट्रक है. जिस पर लोन लिया हुआ है. बेचने में दिक्कत आ रही है. आरटीओ से कुछ हो सकता है.

दलाल- ये बड़े काम हैं. हमारे बॉस देखते हैं. हो जाएगा.

रिपोर्टर- क्या उनसे अभी मिलवा सकते हो.

दलाल- नहीं भाई बड़े लोग हैं. वो यहां कभी नहीं आते हैं. सारे बड़े नेता, मंत्री, अधिकारियों तक उनकी पहुंच है. उनका सारा काम तो फोन पर ही होता है. मैं तो बस छोटे-मोटे काम ही करवा हूं. बड़े काम तो बॉस ही करवाते हैं.

रिपोर्टर- छापेमारी के बाद उन्हें काम में कोई दिक्कत नहीं होती.

दलाल- पुलिस और प्रशासन तो हम छोटे लोगों को ही परेशान कर सकती है. बड़े बॉस लोगों तक तो वो पहुंच ही नहीं सकते हैं. प्रशासन पहुंचने की कोशिश करेगा तो अधिकारियों का ट्रांसफर ही करवा दिया जाएगा.

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आरटीओ में आने वाला खर्चा

काम सीधे दलाल(रुपये में)

डीएल क्00 ख्भ्0

आरसी ख्00 भ्00

डीआरसी क्क्0 भ्00

फिटनेस ब्00-क्000 क्ख्00-क्भ्00

डेली आने वाले डीएल: क्ख्भ्

डेली आने वाले आरसी: ख्00-ख्भ्0

फिटनेस के लिए वाहन: क्ख्0-क्भ्0

कुल रीवेन्यू: भ्-क्0 लाख

ट्रांसपेरेंसी की जरुरत है

आरटीओ या किसी अन्य विभाग में अगर करप्शन को खत्म करना है. तो उसके लिए ट्रांसपेरेंसी की जरुरत होती है. आरटीओ में नीचे से ऊपर तक करप्शन व्याप्त है. आलम ये है कि बिना पैसे के कोई काम ही नहीं होता है. शासन को चाहिए कि सख्ती करे. हाल ही में प्रशासन की टीम ने आरटीओ में छापेमारी करके कई दलालों को दबोचा है. बाद में कई बाबूओं पर भी कार्रवाई की गई है. दरअसल जब कार्रवाई होती है. तो अधिकारी अपने नीचे के कर्मचारियों पर सारा ठीकरा फोड़ देते हैं. अधिकारियों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. जब तक सारा काम ट्रांसपेरेंसी से नहीं होगा. करप्शन को खत्म नहीं किया जा सकता है.

- कुलदीप सक्सेना, आरटीआई एक्टिविस्ट

-वर्जन-

आरटीओ के अंदर किसी भी दलाल को घुसने नहीं दिया जाएगा. परिसर में रोज अधिकारी गश्त करेंगे. आरटीओ परिसर के दोनों गेटों पर पुलिस लगा दी गई है. आरटीओ के अंदर के कर्मचारियों पर खुफिया नजर रखी जा रही है.

- एसके सिंह, एआरटीओ

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डीएम ने कहा..

जनशिकायत मिलने के बाद ही आरटीओ ऑफिस में छापा डाला गया था. दलालों और आरटीओ के कर्मचारियों की मिलीभगत जांच का विषय है. विभागीय जांच के बाद दोषी आरटीओ के ऐसे कर्मचारी भी बेनकाब होंगे. इससे आरटीओ दफ्तर में दलाल-राज पर शिकंजा कसेगा. शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि जारी किये जाने वाले लाइसेंस, परमिट, टैक्स संबंधी काम सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से होना चाहिए, जिससे पब्लिक को लंबी लाइनों व दलालों से मुक्ति मिल सके. आरटीओ से इन निर्देशों का सौ फीसदी पालन करवाने को कहा गया है.

- डॉ. रोशन जैकब, डीएम

Source: Local News

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