संगम के पानी को लगता है किसी की नजर लग गई है। जलीय जीवों के मरने का सिलसिला थम नहीं रहा है। बुधवार की सुबह भी एक साइबेरियन पक्षी के संगम में मृत मिलने पर श्रद्धालुओं व तीर्थ पुरोहितों में हड़कंप की स्थिति उत्पन्न हो गई। यह जानकारी तत्काल मंडलायुक्त बीके सिंह, डीएम भवनाथ सिंह और जिला वनाधिकारी (डीएफओ) को दी गई। वन दारोगा ने औपचारिकताएं पूरी कर पक्षी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
नालों, सीवरों, टेनरियों के गंदे पानी और चीनी मिलों के कचरे से संगम का पानी दिनों दिन जहरीला होता जा रहा है। भले ही इसका प्रभाव बड़े जलीय जीव-जतुंओं पर अभी न दिख रहा हो, मगर भविष्य में पडऩे वाले दुष्प्रभाव को लेकर लोगो की चिंताएं बढ़ गई हैं। जानकारों का मानना है कि संगम के पानी की गुणवत्ता खराब होने से छोटे-छोटे जलीय जीवों पर इसका असर पड़ रहा है। साइबेरियन पक्षियों की मौत के पीछे कारण गंगा के पानी में डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्र का कम होना बताया जा रहा। समाजसेवी कमलेश सिंह बुधवार तीन दिसंबर की सुबह कुछ लोगों के साथ संगम तट पर सफाई कर रहे थे, तभी पानी में एक साइबेरियन पक्षी मृत मिला। इसके पूर्व 16 नवंबर को भी वहीं पर चार साइबेरियन पक्षी मरे पाए गए थे। उस बार तो उनका पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका था। 26 अक्टूबर को किला घाट पर तकरीबन सौ, 30 नवंबर और दो दिसंबर को संगम में दर्जनों मछलियां मरी हुई मिली थीं। अफसरों ने वहां से पानी का नमूना लेकर जांच कराया व फर्ज की इतिश्री कर ली। बुधवार तीन दिसंबर को पहली दफा मृत पाए गए साइबेरियन पक्षी को पोस्टमार्टम कराने के लिए भेजा गया। इससे संगम के पानी और अफसरों की हकीकत सामने आने की उम्मीद है। क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच रिपोर्ट में पानी में बीओडी और डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्र सामान्य बताई गई है। वन दारोगा अजय पटेल ने बताया कि तीन डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया है। रिपोर्ट शुक्रवार को मिलेगी तभी मौत के कारणों का पता चल पाएगा।संगम पर मृत साइबेरियन पक्षी को देखते स्थानीय लोग।
जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने संगम पर पक्षियों और मछलियों को सेव से लेकर लाई तक खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि किसी ने लाई या कोई खाद्य सामग्री गंगा में पक्षियों के सामने डाली, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पिछले पंद्रह दिन से लगातार संगम पर साइबेरियन पक्षियों और मछलियों के मरने की घटनाएं हो रही हैं। गंगा का रंग भी परिवर्तित हुआ है। साइबेरियन पक्षियों के मरने की घटना जब दोबारा बुधवार को भी घट गई, तो प्रशासन सक्रिय हो उठा। साइबेरियन पक्षी के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इसकी रिपोर्ट शुक्रवार तक आ पाएगी। वहीं कुछ लोगों ने संगम मे साइबेरियन पक्षियों को सेव खिलाने में आपत्ति जतायी और इस पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना है कि खराब तेल से सेव बनाकर उसे संगम तट पर श्रद्धालुओं को बेचा जाता है। श्रद्धालु उसी सेव को पक्षियों और मछलियों को खिलाते हैं। इस तरह की घटनाओं की यह भी वजह हो सकती है। जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि संगम पर अब कोई भी व्यक्ति सेव बिक्री और पक्षियों को सेव खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मछलियों के मरने की वजह नालों का पानी-संगम के पानी की गुणवत्ता सामान्य है। जो मछलियां मर रही हैं, वह तिलातिया प्रजाति की हैं, जो अफ्रीकी देशों में होती हैं। इन मछलियों के मरने की वजह जहां वह रहती हैं, वहीं नाले के पानी का गिरना है। नाले के पानी के साथ आने वाले तत्वों को खाने से उनकी मौतें हो रही हैं। लेकिन साइबेरियन पक्षी के मरने की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही साफ होगी।
केडी जोशी, वैज्ञानिक केंद्रीय मात्स्यकी संस्थान।
नालों, सीवरों, टेनरियों के गंदे पानी और चीनी मिलों के कचरे से संगम का पानी दिनों दिन जहरीला होता जा रहा है। भले ही इसका प्रभाव बड़े जलीय जीव-जतुंओं पर अभी न दिख रहा हो, मगर भविष्य में पडऩे वाले दुष्प्रभाव को लेकर लोगो की चिंताएं बढ़ गई हैं। जानकारों का मानना है कि संगम के पानी की गुणवत्ता खराब होने से छोटे-छोटे जलीय जीवों पर इसका असर पड़ रहा है। साइबेरियन पक्षियों की मौत के पीछे कारण गंगा के पानी में डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्र का कम होना बताया जा रहा। समाजसेवी कमलेश सिंह बुधवार तीन दिसंबर की सुबह कुछ लोगों के साथ संगम तट पर सफाई कर रहे थे, तभी पानी में एक साइबेरियन पक्षी मृत मिला। इसके पूर्व 16 नवंबर को भी वहीं पर चार साइबेरियन पक्षी मरे पाए गए थे। उस बार तो उनका पोस्टमार्टम भी नहीं हो सका था। 26 अक्टूबर को किला घाट पर तकरीबन सौ, 30 नवंबर और दो दिसंबर को संगम में दर्जनों मछलियां मरी हुई मिली थीं। अफसरों ने वहां से पानी का नमूना लेकर जांच कराया व फर्ज की इतिश्री कर ली। बुधवार तीन दिसंबर को पहली दफा मृत पाए गए साइबेरियन पक्षी को पोस्टमार्टम कराने के लिए भेजा गया। इससे संगम के पानी और अफसरों की हकीकत सामने आने की उम्मीद है। क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच रिपोर्ट में पानी में बीओडी और डिजाल्व ऑक्सीजन की मात्र सामान्य बताई गई है। वन दारोगा अजय पटेल ने बताया कि तीन डाक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया है। रिपोर्ट शुक्रवार को मिलेगी तभी मौत के कारणों का पता चल पाएगा।संगम पर मृत साइबेरियन पक्षी को देखते स्थानीय लोग।
जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने संगम पर पक्षियों और मछलियों को सेव से लेकर लाई तक खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यदि किसी ने लाई या कोई खाद्य सामग्री गंगा में पक्षियों के सामने डाली, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पिछले पंद्रह दिन से लगातार संगम पर साइबेरियन पक्षियों और मछलियों के मरने की घटनाएं हो रही हैं। गंगा का रंग भी परिवर्तित हुआ है। साइबेरियन पक्षियों के मरने की घटना जब दोबारा बुधवार को भी घट गई, तो प्रशासन सक्रिय हो उठा। साइबेरियन पक्षी के शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। इसकी रिपोर्ट शुक्रवार तक आ पाएगी। वहीं कुछ लोगों ने संगम मे साइबेरियन पक्षियों को सेव खिलाने में आपत्ति जतायी और इस पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना है कि खराब तेल से सेव बनाकर उसे संगम तट पर श्रद्धालुओं को बेचा जाता है। श्रद्धालु उसी सेव को पक्षियों और मछलियों को खिलाते हैं। इस तरह की घटनाओं की यह भी वजह हो सकती है। जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि संगम पर अब कोई भी व्यक्ति सेव बिक्री और पक्षियों को सेव खिलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
मछलियों के मरने की वजह नालों का पानी-संगम के पानी की गुणवत्ता सामान्य है। जो मछलियां मर रही हैं, वह तिलातिया प्रजाति की हैं, जो अफ्रीकी देशों में होती हैं। इन मछलियों के मरने की वजह जहां वह रहती हैं, वहीं नाले के पानी का गिरना है। नाले के पानी के साथ आने वाले तत्वों को खाने से उनकी मौतें हो रही हैं। लेकिन साइबेरियन पक्षी के मरने की वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही साफ होगी।
केडी जोशी, वैज्ञानिक केंद्रीय मात्स्यकी संस्थान।
Source: Horoscope 2015
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