Tuesday, April 19, 2016

गेस्ट टीचर्स आज करेंगे राजभवन कूच

पिछले आठ दिनों से पुनर्नियुक्ति की मांग कर रहे गेस्ट टीचर्स धरने पर आमरण अनशन पर डटे हुए हैं। सैटरडे को निवर्तमान सीएम हरीश रावत के सांकेतिक धरने के बाद संडे को पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने अतिथि शिक्षकों के आंदोलन को समर्थन दिया। उन्होंने शासनादेश जारी नहीं होने के विरोध में सोमवार को गेस्ट टीचर्स के साथ राजभवन कूच करने के साथ ही ब्8 घंटे का उपवास रखने का ऐलान किया।

दोबारा तैनाती देने की मांग

परेड ग्राउंड स्थित धरनास्थल पर राजकीय अतिथि शिक्षक संघ के बैनर तले चले रहे गेस्ट टीचर्स के आंदोलन को समर्थन देने पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी पहुंचे। उन्होंने आंदोलन को जायज ठहराते हुए उनके साथ कदम मिलाकर चलने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि गेस्ट टीचर्स के आंदोलन में निवर्तमान मंत्रीमंडल और तमाम विधायक साथ खड़े हैं।

उपवास पर बैठेंगे पूर्व शिक्षा मंत्री

पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि शासनादेश जारी न होने पर सोमवार को राजभवन कूच किया जाएगा। जहां वे ब्8 घंटे के लिए उपवास करेंगे। इस दौरान अतिथि शिक्षकों को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में लंबे समय से रिक्त चल रहे पदों पर तैनाती के बाद शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कम सैलरी पर अतिथि शिक्षकों ने अपने कार्य को बखूबी अंजाम दिया है। कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से अतिथि शिक्षकों के साथ है।

केंद्र सरकार पर साधा निशाना

मंत्री प्रसाद नैथानी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन में पूर्ववर्ती सरकार के लिए गए फैसलों को बदलने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि गेस्ट टीचरों की मांग जायज है तो केंद्र मांगों को स्वीकार करे अन्यथा गेस्ट टीचरों को साफ- साफ मना कर दे। जिससे अतिथि शिक्षक आगे की रणनीति तैयार कर सकें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन में एक हफ्ते से आमरण अनशन पर बैठे अतिथि शिक्षकों की सुध क्यों नही ली जा रही है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन में केंद्र के इशारों पर काम किया जा रहा है। जिससे बेरोजगार अपने आप को ठगा से महसूस कर रहे है।

सेवा विस्तार के लिए हो गई थी चर्चा

नैथानी ने कहा कि अतिथि शिक्षकों की सेवा विस्तार के लिए मंत्री मंडल में चर्चा हो गई थी। जिसे बजट सत्र के बाद अमल में लाया जाना था। लेकिन अंतिम समय में राजनीतिक उठापटक के बाद मामले का शासनादेश जारी नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षकों के साथ ही शिक्षा आाचार्यो की नियुक्ति की फाइलें भी तैयार हो गई थी। लेकिन राष्ट्रपति शासन लगने से मामले लंबित पड़ गए।  Read more http://inextlive.jagran.com/dehradun/

No comments:

Post a Comment