Tuesday, April 12, 2016

'मैं' और 'वह' में दिखी विचारों की कशमकश

समन्वय इलाहाबाद संस्था की ओर से मंगलवार को एनसीजेडसीसी हाल में व्यक्तिगत नाटक का मंचन किया गया। डा लक्ष्मी नारायण लाल द्वारा लिखित इस नाटक के माध्यम से दर्शकों को दिखाया गया कि किस प्रकार एक पति- पत्‍‌नी अनुभूति न होकर बल्कि एक वस्तु बनकर रह गए हैं। इस नाटक में महज दो किरदार के माध्यम से दर्शाया गया कि कैसे 'मैं' लोगों के दिमाग में बैठ गया है। जिसे पत्‍‌नी बाहर निकाले की कोशिश करती है और अंत में वह अपने मकसद में पूरी तरह से कामयाब हो जाती है। नाटक का शुभारम्भ मेयर अभिलाषा गुप्ता नंदी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के बाद हुआ। वहीं इस नाटक के मंचन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे.

मायाजाल से बाहर निकाला

नाटक के माध्यम से दर्शकों को दिखाया गया कि पति पत्‍‌नी के बीच आज के दौर में विचारों को लेकर हो रही कशमकश के चलते कितनी समस्याएं उत्पन्न हो रही है। इतना ही नहंी आजादी के बाद पुरूष उपभोक्ता वादी संस्कृति किस तरह से अपना रहा है। साथ ही न जाने कितनी प्रवृति प्रभावी है, जिसके चलते मानवीय जीवन की गरिमा, सौंदर्य, अपराध, असत्य, शोषण विश्वासघात, हिंसा विकृतियों ने चारों ओर से हमें घेर रखा है। अंत में नाटक में दर्शाया गया कि एक पत्‍‌नी किस तरह से पति को मायाजाल से बाहर निकालने की कोशिश करती है और अंत में वह इस मकसद में कामयाब हो जाती है। नाटक में वह की भूमिका में पूजा, जबकि मैं की भूमिका में विजय कुमार नजर आए।  Read more http://inextlive.jagran.com/allahabad/

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