मगर यह ख़बर एक तरीक़ा है सार्वजनिक जगहों पर आम लोगों को महिलाओं की सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाने का, ताकि यौन हिंसा को लोग एक ख़बर समझकर भूल न जाएं.
फ्रीज़ मॉब के ज़रिए लोगों को जागरूक बना रहे हैं.
भीड़ में घुल-मिलकर ये लोग अचानक स्थिर हो जाते हैं और हर किसी की नज़र इन पर टिक जाती है.
इन नौजवानों के हाथों में मौजूद पोस्टर और तख्तियां महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिए को बयां करते हैं और लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने मिलकर एजुकेशन ट्री के नाम से एक ग्रुप बनाया और फेसबुक के ज़रिए छात्र इससे जुड़ने लगे.
इस ग्रुप का मक़सद नए से नए तरीकों से सार्वजनिक जगहों पर आम लोगों को यौन हिंसा, महिलाओँ के अधिकार, बाल श्रम जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए उकसाना है.
फ्रीज़ मॉब के ज़रिए लोगों को जागरूक बना रहे हैं.
भीड़ में घुल-मिलकर ये लोग अचानक स्थिर हो जाते हैं और हर किसी की नज़र इन पर टिक जाती है.
इन नौजवानों के हाथों में मौजूद पोस्टर और तख्तियां महिलाओं के प्रति समाज के नज़रिए को बयां करते हैं और लोगों को सोचने पर मजबूर करते हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने मिलकर एजुकेशन ट्री के नाम से एक ग्रुप बनाया और फेसबुक के ज़रिए छात्र इससे जुड़ने लगे.
इस ग्रुप का मक़सद नए से नए तरीकों से सार्वजनिक जगहों पर आम लोगों को यौन हिंसा, महिलाओँ के अधिकार, बाल श्रम जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए उकसाना है.
दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के छात्र पारस अब तक इस तरह कई आयोजनों में हिस्सा ले चुके हैं. वो कहते हैं, ''जब हम अचानक फ्रीज़ हो जाते हैं, तो लोग रुकते हैं, हमारे पास आते हैं और पोस्टर पढ़ते हैं. एक बार एक व्यक्ति ने मुझसे कहा कि लड़कियों के तौर-तरीके भी तो देखो, लेकिन इससे पहले कि मैं कुछ कहता वहां मौजूद दूसरे लोग उसके साथ बातचीत में जुट गए और उसे समझाने लगे. यही तो हम चाहते हैं.''..
Source: National News in Hindi
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