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Tuesday, November 4, 2014

Old shipping laws need to be changed: Nitin Gadkari

Though there is no official communication on what transpired at the 30-minute meeting, sources said the Chief Minister complained about the 'misdeeds' of the Telangana government in the recent days, including the Srisailam water row and the dispute over funds in Labour Department.

He also reportedly discussed about the institutions and organisations listed in Schedule IX and X of the AP Reorganisation Act and those that have not been included in any Schedule that have become a bone of contention between the two states with Telangana government unilaterally going ahead with their division.

The Chief Minister reportedly explained to the Governor the Telangana government's repeated violation of the Krishna River Management Board's orders issued from time to time on utilisation of water at Srisailam reservoir for power generation.

Though the situation was "very precarious" due to shortage of over 78 tmc ft of water in river Krishna this season, the Telangana government was adamantly generating power at the Srisailam Left Power House and letting out water into the sea.

Regarding the Labour Department, the Chief Minister reportedly lodged a strong protest with the Governor over the Telangana government's high-handed actions in booking cases against higher officials of the AP government and the threat issued to banks asking them to freeze accounts of the department.

The Chief Minister gave a detailed account of funds pertaining to the Building and Other Construction Workers Welfare Board and the unnecessary dispute being created by the Telangana government over it.

"There is no diversion of funds as being made out by Telangana. In fact our money is still lying in banks of Telangana," Chandrababu reportedly said.

Friday, February 21, 2014

India To Get 29th State Telangana

राज्यसभा से आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधयेक के पारित होते ही भारत के 29वें राज्य के रूप में तेलंगाना के गठन का रास्ता साफ़ हो गया है. पेश है इस नए राज्य से जुड़ी कुछ ख़ास बातें.
तेलंगाना का गठन आंध्र प्रदेश के विभाजन से हो रहा है. आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद अगले 10 सालों के लिए दोनों राज्यों की राजधानी रहेगी.

क्योंकि हैदराबाद नए गठित राज्य तेलंगाना में है इसलिए सरकार विशेषज्ञों की एक समिति बनाएगी जो अपने गठन के 45 दिनों के भीतर आंध्र प्रदेश के लिए नई राजधानी सुझाएगी.

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल, तेलंगाना के भी राज्यपाल होंगे.

कृष्णा और गोदावरी यहां की दो प्रमुख नदियां हैं. इन नदियों का पानी दोनों राज्यों में बंटेगा. इसकी निगरानी करने के लिए केंद्र सरकार एक परिषद का गठन करेगी.

पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कर दिया जाएगा. इस पर केंद्र सरकार का नियंत्रण होगा.

सीटों का बंटवारा
अभी आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 42 सीटें हैं. तेलंगाना राज्य बनने के बाद आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें होंगी. बाकी 17 सीटें तेलंगाना राज्य में चली जाएंगी.

इसी तरह विधानसभा की सीटें भी बंट जाएंगी. अभी आंध्र प्रदेश में विधानसभा की 294 सीटें हैं. तेलंगाना बनने के बाद आंध प्रदेश में विधानसभा की 175 सीटें होंगी. वहीं तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटें होंगी.

सरकारी-निजी शिक्षा संस्थानों में दाख़िले के संबंध में मौजूदा आरक्षण व्यवस्था अगले दस वर्ष तक जारी रहेगी.

दोनों राज्यों के लिए हाईकोर्ट फिलहाल हैदराबाद में रहेगा. एक अलग हाईकोर्ट बाद में बनाया जाएगा.

दोनों राज्यों के बीच लेन देन संबंधी किसी तरह का विवाद होता है तो उसका समाधान दोनों पक्षों को मान्य समझौते के ज़रिए किया जाएगा.

केंद्र का दखलतेलंगाना राज्य में वर्तमान आंध्र प्रदेश के दस ज़िले शामिल होंगे.

दोनों राज्यों के बीच समझौता नहीं हो पाता है तो केंद्र सरकार इसमें दख़ल देगी और इसके लिए नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से सलाह करेगी.

राज्य के विशेष सुरक्षा बलों को सलाह-मशवरे के बाद दोनों राज्यों में बांट दिया जाएगा.

13वें वित्त आयोग की सिफ़ारिशें भी आबादी और अन्य ज़रूरतों के हिसाब से दोनों राज्यों पर लागू होंगी.

आंध्र प्रदेश के हैदराबाद, आदिलाबाद, खम्मम, करीम नगर, महबूब नगर, मेढक, नलगोंडा, निज़ामाबाद, रंगा रेड्डी और वारंगल ज़िले तेलंगाना राज्य का हिस्सा होंगे.

तेलंगाना राज्य की सीमाएं आंध्र प्रदेश के अलावा अन्य चार राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से लगेंगी.

Source: Latest News in Hindi

Thursday, February 13, 2014

Mikes Broken In Delhi Vidhansabha Too

संसद ही नहीं दिल्ली विधान सभा में भी गुरूवार को जमकर हंगामा हुआ. माइक तोड़े गए और सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित करनी पड़ी.
दिल्ली विधान सभा का सत्र शुरू होते ही भाजपा और कांग्रेस विधायकों ने जमकर हंगामा किया. क़ानून मंत्री सोमनाथ भारती की  खिड़की एक्‍सटेंशन में विदेशी महिलाओं के घर आधी रात को छापा मारने के मामले पर इस्तीफ़े की मांग करते हुए उन्होंने अध्यक्ष का माइक तोड़ डाला.

गुरूवार को चार दिवसीय विधानसभा सत्र का पहला दिन था. भाजपा और कांग्रेस विधायकों के विरोध प्रदर्शनों के कारण अध्यक्ष को सदन चार बार स्थगित करना पड़ा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री  अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार विरोधी क़ानून के लिए जनलोकपाल विधेयक और स्वराज विधेयक पर आम सहमति बनाने के लिए यह सत्र बुलाया था.

सदन की कार्यवाही ख़त्म होने के बाद केजरीवाल ने पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर 'मैच फ़िक्सिंग' करने का आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, ''हमने गैस की क़ीमतों में हुई अनियमितता को लेकर जो क़दम उठाया, उसके कारण भाजपा और कांग्रेस हमारे ख़िलाफ़ मिल गई हैं.''

माइक तोड़ डाला

कांग्रेस और भाजपा विधायकों ने कानून मंत्री सोमनाथ भारती के इस्तीफे की मांग की.

जब पहली बार सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा के विधायकों ने अध्यक्ष के आसन के नज़दीक आकर नारे लगाने शुरू कर दिए.

इससे सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित करनी पड़ी. बाद में जब फिर से कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा और कांग्रेस विधायकों के हंगामा जारी रखने के कारण सदन को दो बार 20-20 मिनट के लिए स्थगित किया गया.

तीसरी बार सदन स्थगित होने के 50 मिनट बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई. दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने भारती के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की.

उनके साथ भाजपा के भी कुछ विधायक जुड़ गए. भाजपा विधायकों के हाथ में पोस्टर थें. वे भारती के इस्तीफ़े की मांग कर रहे थे.

इस्तीफ़े की मांग करते हुए भाजपा के कई विधायक आगे बढ़े और अध्यक्ष का माइक तोड़ डाला. काग़ज़ के टुकड़े भी फेंके गए. अराजकता का माहौल बनने से मजबूरी में अध्यक्ष एमएस धीर को विधानसभा की कार्यवाही चौथी बार स्थगित करनी पड़ी.

हंगामे के कारण सदन में जनलोकपाल बिल नहीं रखा जा सका.

Source: Online Hindi Newspaper