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Wednesday, December 17, 2014

Police evacuated the statue stolen in Raghunathji

अधिष्ठाता श्री रघुनाथ जी की मूर्ति को चोरी हुए एक सप्ताह बीत गया लेकिन पुलिस के हाथ अभी तक खाली हैं। पुलिस का कहना है कि मूर्ति चोरी मामले में विभिन्न राज्यों में लगभग छह पुलिस टीमों को भेजा गया है। पूर्व में ऐसी वारदातों से जुड़े कुछ शातिर पुलिस के निशाने पर हैं। विभिन्न राज्यों में रह रहे इन शातिरों से भी पुलिस पूछताछ करेगी।

आइजी मध्य रेंज पीएल ठाकुर ने पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस की कुछ टीमों को अन्य राज्यों में भेजा गया है। कुल्लू में राष्ट्रीय राजमार्ग-21 वामतट मार्ग, संपर्क मार्गो व ट्रैकिंग रूटों पर पहले ही पहरा बिठा दिया गया है। पुलिस सूत्रों की मानें तो चार सदस्यीय एक टीम पुणो रवाना की गई है। वारदात के एक सप्ताह बाद भी श्री रघुनाथ जी की त्रेता युगकालीन मूर्ति समेत अन्य मूर्तियों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। पिछले सप्ताह सोमवार की रात घटी इस घटना ने रघुनाथ जी के भक्तों को सांसत में डाल रखा है। वारदात के तीन दिन बाद हालांकि पुलिस ने जिला बस अड्डे पर लगे सीसीटीवी कैमरों में तीन संदिग्धों के दिखने का भी दावा किया है लेकिन वे भी पुलिस की पहुंच से बहुत दूर हैं। पता चला है कि सोमवार देर सायं पुलिस की एक टीम ने मंडी जिले के साथ लगते नगवाईं में भी दबिश दी थी लेकिन उसे वहां कुछ नहीं मिला। वहीं इंटरपोल इमीग्रेशन कार्यालयों (दूतावासों) सीआइएसएफ, एसएसबी व आरपीएफ से भी हिमाचल पुलिस संपर्क में है। इनके माध्यम से पुलिस विदेशों से आने वाले तथा विदेशों को जाने वाले लोगों, इंडो-नेपाल बार्डर तथा अन्य सीमाओं, हवाई अड्डों व रेलवे स्टेशनों पर नजर रखे हुए है। इस पूरे मामले को देख रहे अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था संजय कुंडू भी मंडी में डटे हुए हैं।

कुंडू के निर्देशों पर ही प्रदेश पुलिस इस मामले पर काम कर रही है। आइजी मध्य रेंज पीएल ठाकुर ने कहा कि पुलिस अपना काम कर रही है और टीमों को रवाना कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक भी दो दिन से मंडी में हैं।

अधिष्ठाता रघुनाथ जी की त्रेता युगकालीन मूर्ति को ढूंढने के लिए पुलिस खूब हाथ-पांव मार रही है। पुलिस ने लगभग 24 पुलिसकर्मियों की एक टीम का गठन किया है। टीम में छह महिला पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। टीम के सदस्य सादी वेशभूषा में आम लोगों के बीच घूमेंगे और चोरी संबंधी सुराग ढूंढेंगे। पुलिस को शक है कि रघुनाथ जी की मूर्ति तथा चोरीशुदा अन्य मूर्तियां अभी कुल्लू जिला में ही हैं। बर्फबारी का फायदा उठा कर शातिर करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ी इन मूर्तियों को चोरी छिपे ले जाकर प्रदेश से बाहर ठिकाने लगा सकते हैं। इस बिंदू पर भी पुलिस की जांच केंद्रित हैं। मंडी, बिलासपुर व राष्ट्रीय राजमार्ग-20 व 21 पर भी पहरा बिठाया हुआ है। आइजी मध्य रेंज पीएल ठाकुर ने कहा कि पुलिस किसी भी बिंदू पर कोई ढील नहीं बरतना चाहती। पुलिस टीम अपना काम कर रही है।

Raghunath Temple released footage of the three suspects in theft

कुल्लू के ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर में चोरी के मामले में पुलिस ने शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों से एकत्र तीन संदिग्धों की फुटेज जारी की है। पुलिस ने बुधवार को कुल्लू जिला मुख्यालय समेत आस-पास के इलाकों में भी दबिश दी। इस दौरान कुछ घरों व भूतनाथ मंदिर के पास बाजार में भी जांच की। पुलिस मध्य क्षेत्र मंडी के महानिरीक्षक पीएल ठाकुर ने रघुनाथ मंदिर में चोरी के मामले में हुई प्रगति के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि कुल्लू शहर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की छानबीन के बाद तीन संदिग्धों की पहचान की गई है, जो नौ दिसंबर को सुबह बस अड्डा से सरवरी के बीच देखे गए हैं। इनकी आयु 20 से 27 वर्ष के बीच है। संदिग्धों के बारे में किसी तरह की पुख्ता जानकारी देकर इन्हें पकडऩे पर प्रदेश सरकार ने 10 लाख रुपये पुरस्कार राशि देने की घोषणा की है। उधर, देव कारकूनों ने रघुनाथ जी के मंदिर में पूछ डाली (भविष्यवाणी) व मूर्ति के जमीन के नीचे दबे होने की बात उठी है। देव कारकूनों के कहने पर पुलिस ने उस स्थान पर मेटल डिटेक्टर से भी खोज अभियान चलाया है। पुलिस की एक टीम भी मंडी में ही बिठा दी गई है। इधर, कुल्लू जिला पुलिस व विशेष जांच टीम भी अपने स्तर पर काम कर रही है। पुलिस मामले में इंटरपोल, दूतावासों, सीआइएसएफ, आरपीएफ व एसएसबी समेत कई एजेंसियों की भी मदद ले रही है। पुलिस ने विभिन्न राज्यों में भी कुछ टीमें रवाना की गई हैं। अभी छानबीन चल रही है। हर पहलु की गहनता से जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपी गिरफ्तार होंगे।

Tuesday, December 16, 2014

Llyhan priest's secret basement

मंडी जिला के देवी-देवता अकूत संपत्ति के मालिक हैं। जिला में ऐसे भी देवता हैं जिनके आज भी अपने तहखाने हैं। इन तहखानों में कितनी धन-दौलत है, किसी को आज तक पता नहीं चल पाया है। मंदिर के पुजारी नए पुजारी के कान में तहखाने के खजाने की जानकारी देते हैं।

कुल्लू में भगवान रघुनाथ जी की मूर्ति की तर्ज पर अगर दुर्भाग्यवश चोर वारदात को अंजाम देते हैं तो चोर कितनी धन-दौलत ले उड़े, शायद इसका पता तक नहीं चलेगा। मंडी जिला में आज भी ऐसे मंदिर हैं जिनका ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्व है। सदियों पुराने मंदिर आज भी रियासतकाल की यादों को ताजा करते हैं। इनमें से सुकेत रियासत के करसोग में स्थित ममलेश्वर महादेव, देवी कामाक्षा, देव माहूनाग, देव बड़ायोगी शामिल हैं। पराशर में पराशर ऋषि का मंदिर भी सदियों पुराना इतिहास समेटे हुए है।

ममेल में स्थित ममलेश्वर महादेव के मंदिर में आज भी ऐसी वस्तुएं मौजूद हैं जो महाभारतकालीन या फिर उससे पहले से संबंध रखती हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में ऐसा तहखाना आज भी मौजूद है जिसमें रखी धन-दौलत के बारे में पुजारी के अलावा कोई और नहीं जानता है। देव समाज से जुड़े लोगों में अब ऐसे देवी-देवताओं की संपत्ति के बारे में असुरक्षा की भावना प्रबल होने लगी है।

देव समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसे देवी-देवताओं की संपत्ति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि आम लोगों को भी देवता की संपत्ति के बारे में पता चल सके। भविष्य में अगर दुर्भाग्यवश ऐसे मंदिरों में चोरी की वारदात को अंजाम देते हैं तो चुराई गई दौलत का आकलन तक करना मुश्किल होगा। मंदिरों की सुरक्षा के लिए भी प्रशासन से पुख्ता प्रबंध करने की देवसमाज के लोगों ने गुहार लगाई है।

इधर, मंडी जिला सर्व देवता कमेटी के प्रधान शिवपाल शर्मा ने प्रदेश सरकार से मंदिरों की सुरक्षा को लेकर कड़े सुरक्षा इंतजाम करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जिला में ऐसे भी देवी देवता है जिनकी संपत्ति करोड़ों में है।

अधिष्ठाता रघुनाथ जी चोरी हुई त्रेता युगकालीन मूर्ति तथा अन्य मूर्तियों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। वारदात को लेकर घाटी में लोग भी खूब चर्चा कर रहे हैं लेकिन दूसरी ओर पुलिस के हाथ बिल्कुल खाली हैं।

पुलिस सीसीटीवी में तीन संदिग्धों का दावा करने के बाद अभी तक आगे कुछ नहीं कर सकी है। पुलिस ने राष्ट्रीय राजमार्ग-21 पर बजौरा में लेफ्ट बैंक मार्ग पर तथा अन्य संपर्क मार्गो पर नाकाबंदी कर रखी है। हालांकि जिले में हुए भारी हिमपात ने भी मंदिर से मूर्तियां चुराने वाले शातिरों को ढूंढ रही पुलिस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पुलिस का कहना है कि जांच सही दिशा में आगे बढ़ रही। कुल्लू पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र वर्मा ने बताया कि पुलिस अपना काम कर रही है तथा अन्य एजेंसियों से पुलिस लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि जल्द मामले का पटाक्षेप होगा।

After a week's clue Raghunathji

अधिष्ठाता श्री रघुनाथ जी की मूर्ति को चोरी हुए एक सप्ताह

का बीत चुका गया है, लेकिन पुलिस अब तक रघुनाथ जी तथा अन्य चोरी हुई मूर्तियों को नहीं ढूंढ सकी है। वारदात को अंजाम देने वाले शातिर अब भी पुलिस की पहुंच से दूर है।

पुलिस ने कुल्लू जिला के ट्रैकिंग रूटों और संपर्क मार्गो पर भी पहरा बैठा दिया है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 21 पर बंजौरा के समीप तथा वामतट मार्ग पर भी नाकाबंदी की गई है। एक सप्ताह से चली आ रही पुलिस की कसरत अभी तक कोई रंग नहीं दिखा पाई है।

हालांकि चार दिन पहले पुलिस ने जिला बस अड्डे पर लगे तीन सीसीटीवी कैमरों की फुटेज में तीन संदिग्धों के दिखने का दावा किया है। लेकिन, ये संदिग्ध किस राज्य के हैं और इनका पता ठिकाना क्या है। यह भी पुलिस को अभी तक मालूम नहीं है। स्टेट सीआइडी हैडक्वाटर के माध्यम से पुलिस इंटरपोल और इमिक्रेशन कार्यालयों (दूतावास) के संपर्क में है। एसएसबी, सीआईएसएफ, आरबीएफ के माध्यम से भी पुलिस इंडो नेपाल बार्डर समेत अन्य सीमाओं हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर भी नजर रखे हुए है। प्रदेश सरकार ने रघुनाथ जी की

मूर्ति का सुराग देने वाले को पहले ही दस लाख रुपये तथा विश्व ङ्क्षहदू परिषद ने दो लाख रुपये इनाम के भी घोषणा कर रखी है।

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था संजय कुंडू के दिशा निर्देशों पर

कुल्लू जिला पुलिस और विशेष जांच टीम काम कर रही है। कुल्लू के पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र वर्मा ने कहा कि सभी मार्गो समेत ट्रैकिंग रूटों पर भी पुलिस की नजर है।

ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर कुल्लू से भगवान रघुनाथ की मूर्ति चोरी होने के बाद

बिलासपुर जिला पुलिस अलर्ट है। पुलिस ने सोमवार को स्वारघाट में प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के वाहनों की जांच की। हालांकि इस दौरान भगवान रघुनाथ की मूर्ति का सुराग नहीं लग पाया है। स्वारघाट पुलिस ने मूर्ति की तलाश के लिए कई जगह नाके लगाए हैं। दिन-रात वाहनों की जांच की जा रही है।

इसके अलावा हर व्यक्ति की गतिविधियों पर पुलिस की नजर है। पुलिस करीब तीन हजार वाहनों की जांच कर चुकी है लेकिन कोई सुराग नहीं मिला है। स्वारघाट के थाना प्रभारी कर्म ङ्क्षसह ने बताया कि हर वाहन का निरीक्षण किया जा रहा है। 

Monday, December 15, 2014

It was the time of sacrifice that the stolen statue of Ram Ashwamedha

कुलूत प्रदेश के दिवंगत राजा जगत सिंह को जब कुष्ठ रोग ने घेरा तो इस रोग से पार पाने के लिए अयोध्या से रघुनाथ जी को कुल्लू लाया गया। 1672 में अयोध्या से भगवान रघुनाथ व माता सीता की मूर्तियां कुल्लू पहुंचते ही राजा जगत सिंह रोगमुक्त हो गए। कल चोरी हुई रघुनाथ जी की मूर्ति की और भी है अद्भूत बातें-

हालांकि मूर्ति के 1657 के आसपास कुल्लू लाए जाने की भी बाते होती रही हैं, लेकिन कुलूत राज परिवार भी रघुनाथ जी के 1672 में ही कुल्लू पहुंचने की पुष्टि कर रहा है। बताया जाता है कि राजा जगत सिंह को रोगी हालत में देखकर भुंतर क्षेत्र में रहने वाले एक पयहारी बाबा ने ही सलाह दी थी कि वे अयोध्या से रघुनाथ व सीता माता की मूर्तियां लेकर आएं तो ही वे रोगमुक्त हो सकेंगे। इस पर अयोध्या से यह मूर्तियां लाई गईं और उसके बाद रघुनाथ कुल्लू में रहने लगे। रघुनाथ जी को समर्पित कुल्लू दशहरा उत्सव भी 1672 से शुरू हुआ। इस मूर्ति को कुल्लू लाए जाने की नौबत क्यों आई, इसके पीछे भी एक रोचक कहानी है।

बताया जाता है कि किसी ने राजा जगत सिंह के पास झूठी शिकायत की थी कि मणिकर्ण घाटी के टिपरी गांव के ब्राह्मण दुर्गादत्त के पास चारपथा (करीब पांच किलोग्राम) मोती हैं। इस पर राजा ने आदेश जारी करते हुए ब्राह्मण को कहा कि मैं मणिकर्ण जा रहा हूं, लौटते समय वह मोती मुङो दिखाना। वास्तव में दुर्गादत्त के पास मोती थे ही नहीं। जब ब्राह्मण दुर्गादत्त को पता चला कि राजा मणिकर्ण से लौट रहे हैं तो दुर्गादत्त ने अपने परिवार को घर में कैद किया और घर को आग लगा दी। स्वयं को भी इन्हीं लपटों के हवाले कर दिया। इसके बाद से ही राजा को रोग ने घेरा और इससे पार पाने के लिए अयोध्या से रघुनाथ जी कुल्लू लाए गए। कुछ के लोग मूर्ति को कुल्लू लाए जाने की घटना को एक खास रणनीति से भी जोड़ते हैं। दुर्गादत्त तथा उसके परिवार के प्राण त्यागने के बाद कुलूत राजपरिवार टिपरी गांव नहीं गया। इस घटना के लगभग 340 साल बाद 2011 में टिपरी गांव में दोष मिटाने के लिए कारी छिद्रा नामक यज्ञ हुआ। इस यज्ञ के बाद से ही राज परिवार के सदस्य टिपरी गांव में जा रहे हैं।

इतिहास-16ब्राह्मण की मृत्यु के बाद राजा जगत सिंह हुए थे बीमार

हिमाचल प्रदेश और कुलूत, एनसाईक्लोपीडिया ऑफ कुलूत तथा कुलूती हिंदू व्याकरण के लेखक दयानंद सारस्वत कहते हैं कि रघुनाथ मंदिर से चोरी हुई मूर्ति त्रेता युग की है। यह मूर्ति भगवान श्रीराम चंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ के समय स्वयं तैयार की गई थी क्योंकि माता सीता उस समय वनवास पर थी। अश्वमेध यज्ञ की पूर्णता के लिए पति पत्नी दोनों को यज्ञ में उपस्थित होना आवश्यक था। सीता की गैर मौजूदगी के कारण श्रीराम व सीता दोनों की यह मूर्तियां तैयार करवाई गई। राजा जगत सिंह ने यह मूर्तियां अयोध्या से कुल्लू लाईं। दूसरी ओर यह भी बताते चलें कि इस बिंदू पर भी कई विद्वानों में बहस होती रही है कि अयोध्या में श्रीराम चंद्र नहीं बल्कि राम लला (बाल राम चंद्र) की मूर्ति है। विद्वान इस पर यह भी बहस करते रहे हैं कि राम चंद्र व सीता की आदिकालीन मूर्तियां कुल्लू में हैं या अयोध्या में हैं। दयानंद सारस्वत, किशोर ठाकुर, प्रताप सिंह ठाकुर आदि कहते हैं कि चोरी की यह वारदात कोई आम नहीं है। यह करोड़ों सनातनियों की आस्था के प्रतीक श्रीराम चंद्र जी से जुड़ा मामला है। इस मामले को प्रशासन और सरकारें अति गंभीरता से लें।