पुराना आलू शहर में नए रेट में धड़ल्ले से बिक रहा है. व्यापारी पुराने
आलू पर केमिकल का रंग चढ़ाकर नया आलू बना दे रहे है. जोकि, हेल्थ के लिहाज
से बेहद खतरनाक है. लेकिन, मुनाफा के चक्कर में पड़ कर चंद व्यापारी यह
खेल खुलेआम कर रहे है. मंडी और रिटेल मार्केट में नया आलू जोकि, पुराना है
खूब बिक रहे है. पुराना आलू को नया बनाने के लिए मिट्टी, तेजाब, गेरू और
रंग जैस हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल किया जा रहा है. आइए, हम आपको बताते
है क्या है मार्केट में बिक रहे नए आलू के रंग की असली हकीकत.
पुराना आलू को बना रहे हैं नया
इन सारे खेल के पीछे नया और पुराना आलू के रेट में अंतर है. रिटेल
मार्केट में पुराना आलू जहां 10 रुपए प्रति केजी है. वहीं नया आलू दुकानदार
20 रुपए प्रति केजी बेच रहे है. प्राइस जस्ट डबल होने के चलते बिचौलिए इस
खेल को अंजाम दे रहे है. सोर्सेज से मिली जानकारी के मुताबिक, पुराना आलू
को नया बनाने के लिए तेजाब, गेरू रंग और मिट्टी कर इस्तेमाल हो रहा है.
सबसे पहले आलू पर तेजाब का इस्तेमाल किया जाता है. ताकि, आलू का छिलका
कहीं-कही से उतर जाता है. जोकि, प्राय: खेत में जो नए आलू की खुदाई होता है
वैसा हो जाता है. फिर इसके बाद मिट्टी में गेरू और रंग मिलाकर आलू को
मिलाया जाता है और नया आलू मार्केट में बिकने के लिए तैयार हो जाता है. एक
कट्टा पुराना आलू को नया बनाने में बमुश्किल पांच से दस मिनट का समय लगता
है. http://inextlive.jagran.com/acid-potato-make-shopkeeper-market-91392
Source: Bareilly News
View: Bareilly Newspaper
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