इलाहाबाद स्थित संगम व उसके आसपास गंगाजल लाल होने व साइबेरियन पक्षियों के मरने के मामले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। न्यायालय ने जिलाधिकारी व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देशित किया कि मौका मुआयना कर तत्काल आवश्यक कार्रवाई करें तथा कृत कार्यवाही से अदालत को अवगत कराएं।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले में दिया है। अगली सुनवाई की तिथि 11 दिसम्बर नियत की है। कोर्ट ने आशंका व्यक्त की कि ऐसा तो नहीं शहर के सीवर लाइन फट गए हों तथा गंगा व यमुना नदी में गंदा पानी जा रहा हो। कोर्ट ने कहा कि केवल साइबेरियन पक्षी ही नहीं मछलियां भी मर रही हैं। अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने अदालत को अवगत कराया है कि गंगा का पानी इस स्तर पर प्रदूषित है कि गंगाजल आचमन ही नहीं, स्नान करने योग्य भी नहीं है। न्यायालय ने डीएम से अगली सुनवाई पर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
रिपोर्ट में हरेक घटना का जिक्र- गंगा प्रदूषण मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता गंगा में मर रहे पक्षियों और मछलियों के बाबत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन घटनाओं पर उनकी नजर है। इसी आधार पर वह रिपोर्ट भी तैयार कर रहे हैं। जिस दिन गंगा प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी, उसी दिन वह अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे।
इलाहाबाद स्थित कंपनी बाग के सौंदर्यीकरण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गठित कमेटी के निर्णय पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञों की राय से गठित कमेटी ने कंपनी बाग की सौंदर्यता बढ़ाने के लिए धन की मांग की है, जिस पर शासन प्रमुखता से धन अवमुक्त करे। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने मधु सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 8 दिसम्बर तय की है। कोर्ट ने नगर आयुक्त व एडीए के उपाध्यक्ष से कहा कि वे कंपनी बाग में प्रकाश, हाईमास्क व वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था संयुक्त रूप से तत्काल करें। कमेटी के अध्यक्ष व अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वाहन पार्किंग के लिए स्थान तय कर लिया गया है व इंटरलाकिंग के निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गई है। पटरी बनाने का कार्य 19 दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा।
गंगा में साइबेरियन पक्षियों और मछलियों के मरने की खबर पर जिला प्रशासन व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी जागे जरूर हैं, पर कई दिनों की कसरत के बाद भी कारण पता लगाने में उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी है। पिछले दिनों जब गंगा जल में मछलियां मरी मिलीं तो प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा। संगम के आसपास गंगाजल में रोज मरी मछलियों के मिलने का सिलसिला जारी हो गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब परदेश से आए साइबेरियन पक्षी भी मरने लगे। मामले में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी लगातार अपने को क्लीन चिट देते रहे। पानी में प्रदूषण नहीं है तो फिर मछलियों और पक्षियों का मरना जारी क्यों है। यह बड़ा सवाल है। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने खुद इस अभियान को अपने हाथ में लिया। अधिकारियों के साथ खुद गंगा तट तक गए और पानी की गुणवत्ता परखी। कारण अभी भी साफ नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने शासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है।
Source: Horoscope 2015
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने गंगा प्रदूषण मामले में दिया है। अगली सुनवाई की तिथि 11 दिसम्बर नियत की है। कोर्ट ने आशंका व्यक्त की कि ऐसा तो नहीं शहर के सीवर लाइन फट गए हों तथा गंगा व यमुना नदी में गंदा पानी जा रहा हो। कोर्ट ने कहा कि केवल साइबेरियन पक्षी ही नहीं मछलियां भी मर रही हैं। अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने अदालत को अवगत कराया है कि गंगा का पानी इस स्तर पर प्रदूषित है कि गंगाजल आचमन ही नहीं, स्नान करने योग्य भी नहीं है। न्यायालय ने डीएम से अगली सुनवाई पर जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
रिपोर्ट में हरेक घटना का जिक्र- गंगा प्रदूषण मामले में नियुक्त एमिकस क्यूरी अरुण गुप्ता गंगा में मर रहे पक्षियों और मछलियों के बाबत रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन घटनाओं पर उनकी नजर है। इसी आधार पर वह रिपोर्ट भी तैयार कर रहे हैं। जिस दिन गंगा प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई होगी, उसी दिन वह अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेंगे।
इलाहाबाद स्थित कंपनी बाग के सौंदर्यीकरण मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को गठित कमेटी के निर्णय पर यथाशीघ्र निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञों की राय से गठित कमेटी ने कंपनी बाग की सौंदर्यता बढ़ाने के लिए धन की मांग की है, जिस पर शासन प्रमुखता से धन अवमुक्त करे। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड व न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खण्डपीठ ने मधु सिंह की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि 8 दिसम्बर तय की है। कोर्ट ने नगर आयुक्त व एडीए के उपाध्यक्ष से कहा कि वे कंपनी बाग में प्रकाश, हाईमास्क व वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था संयुक्त रूप से तत्काल करें। कमेटी के अध्यक्ष व अपर महाधिवक्ता सीबी यादव ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि वाहन पार्किंग के लिए स्थान तय कर लिया गया है व इंटरलाकिंग के निविदा की प्रक्रिया पूरी हो गई है। पटरी बनाने का कार्य 19 दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा।
गंगा में साइबेरियन पक्षियों और मछलियों के मरने की खबर पर जिला प्रशासन व गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी जागे जरूर हैं, पर कई दिनों की कसरत के बाद भी कारण पता लगाने में उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी है। पिछले दिनों जब गंगा जल में मछलियां मरी मिलीं तो प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद तो यह सिलसिला ही चल पड़ा। संगम के आसपास गंगाजल में रोज मरी मछलियों के मिलने का सिलसिला जारी हो गया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब परदेश से आए साइबेरियन पक्षी भी मरने लगे। मामले में गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के अधिकारी लगातार अपने को क्लीन चिट देते रहे। पानी में प्रदूषण नहीं है तो फिर मछलियों और पक्षियों का मरना जारी क्यों है। यह बड़ा सवाल है। मामले को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी भवनाथ सिंह ने खुद इस अभियान को अपने हाथ में लिया। अधिकारियों के साथ खुद गंगा तट तक गए और पानी की गुणवत्ता परखी। कारण अभी भी साफ नहीं हो पा रहा है। यही कारण है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट ने शासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है।
Source: Horoscope 2015