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Thursday, February 13, 2014

With Whom Obama Going To Celebrate His Valentine Day

वैलेंटाइन्स डे का हफ़्ता फ़िलहाल प्यार मोहब्बत वाला ही रहा है. वॉशिंगटन ने वैलेंटाइन्स डे की पूर्व संध्या पर नरेंद्र मोदी को गले लगा लिया और मोदी भी उन्हें लाल-पीले गुलाब थमा बैठे.
वैसे भारत में अभी चुनावों की तारीख का एलान भी नहीं हुआ है लेकिन अमरीकी थिंक टैंक मोदी को अगला प्रधानमंत्री घोषित कर चुके हैं. भारतीय जनता ने एक भी वोट नहीं डाला लेकिन व्यापार जगत उनके राज्याभिषेक की तैयारी कर रहा है.

भारत के साथ जटिल और तीखी आपसी बहस में अभी से इशारा किया जा रहा है कि दो तीन महीने ठहर जाएं, “नई सरकार” सब ठीक कर देगी. ऐसे में तो बस गले लगना ही बाकी था वो भी हो गया.

इसी हफ़्ते ओबामा साहब ने भी व्हाइट हाउस में फ़्रांस के राष्ट्रपति को गले लगाया और कहा कि रिश्ते अब पटरी पर आ गए हैं.

वैसे इश्क-मोहब्बत के इस मौसम में वॉशिंगटन को थोक के भाव में वैलेंटाइन्स डे कार्ड और लाल गुलाब का ऑर्डर दे देना चाहिए था.

इन्हें भी चाहिए फूल
ईरान के साथ अभी ताकझांक शुरू ही हुई है. अगर व्हाइट हाउस रूहानी साहब को भी लाल गुलाब भिजवा देता तो कहानी थोड़ी और तेज़ी से बढ़ती.

अफ़गानिस्तान में करज़ई मुंह फुलाए बैठे हैं. एक टोकरी गुलाब वहां भी जा सकते थे.

सोची ओलंपिक के लिए अमरीकी टीम रूस गई ही है. पुतिन साहब के लिए भी थोड़े से फूल चले जाते तो शायद उनके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाती. बेचारे बरसों में कभी-कभार ही तो मुस्कराते हैं.

ड्रोन के ज़रिए ज़वाहिरी को भी थोड़े गुलाब भिजवा देते एक कार्ड के साथ कि भाई कब तक पर्दे के अंदर रहेगा, अब तो झलक दिखला दे.

वैसे वैलेंटाइन्स डे भारत में अमरीका से गया लेकिन मनाने का आनंद वहीं है. जब तक पुलिस वालों के डंडे और आस-पड़ोस के गुंडे नहीं आते बेचारे प्रेमी-युगल कभी पेड़ तले तो कभी झील किनारे मिल मिला तो लेते ही हैं.

सर्दी और इश्क
यहां एक तो कड़ाके की सर्दी, चारों तरफ़ बर्फ़ ही बर्फ़. परत दर परत कपड़ों, टोपी और दस्तानों के बीच मुहब्बत दब कर रह जाती है.

टीवी पर और अख़बारों में देखें तो लगेगा इससे बड़ा कोई उत्सव नहीं. लाल गुलाब, लाल कार्ड, लाल ड्रेस, लाल लिपस्टिक के इश्तिहार चौबीसों घंटे चल रहे हैं. बीवी के लिए ये खरीदो, गर्लफ्रेंड के लिए वो खरीदो, पड़ोसी को भी प्यार करो यानी सबकुछ मीठा ही मीठा.

लेकिन आंख-नाक से जब पानी बह रहा हो तो इश्क का इज़हार कैसे हो, उंगलियां अकड़ी हुईं हों तो कोई किसी का हाथ कैसे थामे, चेहरा नज़र ही न आए तो हुस्न की तारीफ़ कैसे करे.

और मुश्किल को मौके में बदलना तो कोई इंटरनेट और डीवीडी पर फ़िल्मों और टीवी सीरियल दिखाने वाली कंपनी नेटफ़्लिक्स से सीखे. प्रेमी-प्रेमिका तो फिर भी एक दूसरे की आंखों में झांक कर शाम गुज़ार लेंगे. पति-पत्नियों का वक़्त कैसे गुज़रेगा? बस वैलेंटाइन्स डे की शाम उन्होंने सुपरहिट टीवी सीरियल “हाउस ऑफ़ कार्ड्स” के दूसरे सीज़न के तेरह के तेरह एपिसोड रिलीज़ कर दिए.

जम कर टीवी देखिए फिर हैप्पी वैलेंटाइन्स डे कहकर आराम से सो जाइए.

वैसे इस बार बराक ओबामा अकेले ही वैलेंटाइन्स डे मना रहे हैं. मिशेल ओबामा बच्चों के साथ छुट्टी पर होंगी, ओबामा कैलिफ़ोर्निया में जॉर्डन के किंग के साथ डिनर करेंगे.

आप सबको वैलेंटाइन्स डे बहुत बहुत मुबारक.

Source: Hindi News

Wednesday, February 12, 2014

US Ambassador Nancy Powell Meets Narendra Modi



जब भारतीय आम चुनाव को कुछ ही महीने रह गए हैं भारत में अमरीका की राजदूत नैंसी पावेल ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है.

ये मुलाक़ात गांधी नगर में गुजरात के मुख्यमंत्री के निवास पर हुई.

समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक़ इस मुलाक़ात के बाद अमरीका का नरेंद्र मोदी का क़रीब एक दशक पुराना बहिष्कार ख़त्म हो गया है.

अमरीका गुजरात के मुख्यमंत्री को अबतक वीज़ा देने से भी मना करता रहा है.

हालांकि अमरीकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि राजदूत की मुलाक़ात का वीज़ा नीति पर कोई असर नहीं होगा.

माना जा रहा है कि आने वाले आम चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत की संभावना को ध्यान में रखते हुए अमरीका ने बातचीत की पहल की है. इससे पहले ब्रितानी उप विदेश मंत्री और भारत में ब्रिटेन के राजदूत नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर चुके हैं.

अमरीका ने 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी को वीज़ा देने से इनकार कर दिया था.

हालांकि अभी  अमरीका केवल अपने प्रतिनिधि की मोदी से मुलाकात पर सहमत हुआ है.

बदलाव

अमरीका का कहना है यह मुलाकात भारत में राजनीति और कारोबार जगत के लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है.

इससे पहले भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने गुजरात दंगों की तुलना यहूदियों के नरसंहार से करते हुए मोदी से अमरीकी राजदूत की मुलाकात पर सवाल उठाए थे.

अमरीका के अलावा मोदी को लेकर यूरोपीय संघ का रुख़ भी कड़ा रहा था. हालांकि उनके रुख़ में हाल में लचीलापन आया है और ब्रितानी और यूरोप के दूसरे राजनयिकों ने गुजरात के मुख्यमंत्री से मेलजोल बढ़ाया है.

आरोप
मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि मोदी ने गुजरात में साल 2002 के हुए दंगों में उदासीन रवैया अपनाया था.

मोदी ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहते रहे हैं कि जाँच में भी उनके ख़िलाफ़ कोई  आरोप साबित नहीं हुआ है.

शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से भारत और अमरीका के रिश्ते लगातार मज़बूत हो रहे हैं और इसे अधिकांश अमरीकी सांसदों का समर्थन हासिल है.

लेकिन कुछ अमरीकी मानवधिकार संस्थाएं और सांसद नरेंद्र मोदी के साथ नज़दीकियों के ख़िलाफ़ हैं.

जानकारों का मानना है कि पॉवेल की मोदी के साथ मुलाक़ात से यह संदेश जाएगा कि अमरीका उन्हें  वीज़ा जारी करने को तैयार है.

Source: Latest News in Hindi