इस वर्ष माघ पूर्णिमा 3 फरवरी को है। इस दिन पुष्प नक्षत्र और रवि योग भी बन रहा है और इसलिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण दिन बन जाता है। पद्म पुराण और भविष्यपुराण में वर्णन है कि इस दिन संगम में स्नान करने से सात जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है।
माघ के पूरे मास में ही नदियों और जलाशयों के जल में प्रात:काल स्नान से मन की शांति प्राप्त होती है और माघ पूर्णिमा इस पूरे शुभ मास के समापन की तिथि है। इस दिन नदियों के किनारे लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं और विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। माघ इस तरह से ध्यान, तप, व्रत और संयम का माह है।
इसी मास में लोग कल्पवास भी करते हैं। माघ मास में कल्पवास करके पूर्णिमा पर उसकी विधिवत समापन करने वाला जन्म और मृत्यु के फेर से मुक्त हो जाता है। हमारे शास्त्रों ने इस दिन स्नान और दान की अत्यधिक महत्ता बताई गई है। यह ऐसा दिन है जबकि देवता भी स्नान के लिए पृथ्वी पर आते हैं।
इस दिन पुष्कर, प्रयाग और अन्य तीर्थों में स्नान से कष्टों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शांति प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं इसलिए इस समय गंगाजल के स्पर्श मात्र से उद्धार होता है। इस दिन संगम के जल में स्नान का एक कारण यह भी है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं।
पूर्ण चंद्रमा अमृत वर्षा करते हैं। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से सूर्य और चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है। माघ के महीने में स्नान के पीछे वैज्ञानिक दृष्टि भी है, चूंकि इस समय ठंड समाप्ति की ओर रहती है और वसंत से ग्रीष्म का आगमन होने लगता है तो इस संधि पर सुबह जल्दी स्नान व्यक्ति को निरोगी बनाता है।
माघ के पूरे मास में ही नदियों और जलाशयों के जल में प्रात:काल स्नान से मन की शांति प्राप्त होती है और माघ पूर्णिमा इस पूरे शुभ मास के समापन की तिथि है। इस दिन नदियों के किनारे लोग सूर्य को अर्घ्य देते हैं और विधि विधान से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं। माघ इस तरह से ध्यान, तप, व्रत और संयम का माह है।
इसी मास में लोग कल्पवास भी करते हैं। माघ मास में कल्पवास करके पूर्णिमा पर उसकी विधिवत समापन करने वाला जन्म और मृत्यु के फेर से मुक्त हो जाता है। हमारे शास्त्रों ने इस दिन स्नान और दान की अत्यधिक महत्ता बताई गई है। यह ऐसा दिन है जबकि देवता भी स्नान के लिए पृथ्वी पर आते हैं।
इस दिन पुष्कर, प्रयाग और अन्य तीर्थों में स्नान से कष्टों से मुक्ति मिलती है और आत्मा की शांति प्राप्त होती है। यह माना जाता है कि माघ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं इसलिए इस समय गंगाजल के स्पर्श मात्र से उद्धार होता है। इस दिन संगम के जल में स्नान का एक कारण यह भी है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से शोभायमान होते हैं।
पूर्ण चंद्रमा अमृत वर्षा करते हैं। मान्यता है कि माघ पूर्णिमा पर स्नान और दान करने से सूर्य और चंद्र दोषों से मुक्ति मिलती है। माघ के महीने में स्नान के पीछे वैज्ञानिक दृष्टि भी है, चूंकि इस समय ठंड समाप्ति की ओर रहती है और वसंत से ग्रीष्म का आगमन होने लगता है तो इस संधि पर सुबह जल्दी स्नान व्यक्ति को निरोगी बनाता है।
Source: Horoscope 2015
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