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Wednesday, February 4, 2015

learn things unheard of catholicism

कैथोलिक धर्म जिसे रोमन कैथोलिक धर्म भी कहते हैं ईसाई धर्म की एक प्रमुख शाखा है। इसके अनुयायी रोम के वैटिकन सिटी में स्थित पोप को अपना धर्माध्यक्ष मानते हैं। ईसाई धर्म की दूसरी मुख्य शाखा प्रोटेस्टैंट कहलाती है और उसके अनुयायी पोप के धार्मिक नेतृत्व को नहीं मानते।

दरअसल ईसा ने अपने भावी अनुयायियों की शिक्षा दीक्षा के लिए रोमन कैथोलिक चर्च की स्थापना की थी और संत पीटर को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया था। संत पीटर का देहांत रोम में हुआ था जिससे प्रारंभ ही से रोम के बिशप को चर्च का अध्यक्ष माना जाने लगा।

अनेक कारणों से इस चर्च की एकता नहीं बनी और यह चर्च रोम से अलग हो गए। बाद में प्रोटेस्टैंट धर्म का उदय हुआ जिसके फलस्वरूप पाश्चात्य चर्च के एक महत्वपूर्ण अंश ने रोम के बिशप का अधिकार अस्वीकार कर दिया। यह सब होते हुए भी आजकल विश्व भर के ईसाइयों के आधे से कुछ अधिक लोग रोमन कैथोलिक चर्च के सदस्य हैं।

यह चर्च रोमन कहा जाता है क्योंकि रोम के वैटिकन सिटी से इसका संचालन होता है। कैथोलिक का मूल अर्थ व्यापक है। कैथोलिक चर्च का दावा है कि वह 'सब समय' 'सभी देशों' के मनुष्यों के लिए खुला रहता है और ईसा द्वारा प्रकट की गई 'सभी' धार्मिक सच्चाइयां सिखाता है।

कैथोलिक चर्च का संगठन सुदृढ़ और केंद्रीभूत है। इसके परमाध्यक्ष रोम के बिशप हैं जो संत पीटर के उत्तराधिकारी माने जाते हैं। जहां कहीं भी कैथोलिक ईसाइयों का कोई समुदाय है, वहां उनके आध्यात्मिक संचालन के लिए रोम की ओर से अथवा रोम के अनुमोदन से एक बिशप की नियुक्ति की जाती है।

बिशप की अधीनता में पुरोहित विभिन्न स्थानों पर रहकर ईसाइयों को उपदेश दिया करते हैं और संस्कार प्रदान करते हैं। रोम में अनेक स्थायी समितियां और आयोग हैं जो कार्डिनलों की अध्यक्षता में समस्त रोमन कैथोलिक चर्च के संचालन तथा प्रशासन के लिए पोप की सहायता करते हैं।