बहुत पुरानी बात है। किसी गांव में एक सेठ रहता था। उसका नाम था मुन्नालाल । वो जब भी गांव के बाजार से निकलता था तब लोग उसे दुआ-सलाम करते थे। वो उसके जवाब में मुस्कुरा कर अपना सिर हिला देता था और बहुत धीरे से बोलता था कि 'घर जाकर बोल दूंगा'।
एक बार किसी परिचित व्यक्ति ने सेठ को यह बोलते हुए सुन लिया। तो उसने सेठ से पूछा सेठजी, आप ऐसा क्यों बोलते हो कि कि 'घर जाकर बोल दूंगा'।
तब सेठ ने उस व्यक्ति को कहा, 'में पहले धनवान नहीं था उस समय लोग मुझे 'मुन्ना' कहकर बुलाते थे और आज के समय में धनवान हूं तो लोग मुझे मुन्नालाल सेठ बुलाते है। ये इज्जत मुझे नहीं धन को दे रहे है।
इसलिए मैं रोज घर जाकर तिजोरी खोल कर लक्ष्मीजी (धन) को ये बता देता हूं कि आज तुम्हें कितने लोगों ने नमस्ते व सलाम किया। इससे मेरे मन अभिमान या गलतफहमी नहीं आती कि लोग मुझे मान या इज्जत दे रहे है। इज्जत सिर्फ पैसों की हैं। इंसान की नहीं।
एक बार किसी परिचित व्यक्ति ने सेठ को यह बोलते हुए सुन लिया। तो उसने सेठ से पूछा सेठजी, आप ऐसा क्यों बोलते हो कि कि 'घर जाकर बोल दूंगा'।
तब सेठ ने उस व्यक्ति को कहा, 'में पहले धनवान नहीं था उस समय लोग मुझे 'मुन्ना' कहकर बुलाते थे और आज के समय में धनवान हूं तो लोग मुझे मुन्नालाल सेठ बुलाते है। ये इज्जत मुझे नहीं धन को दे रहे है।
इसलिए मैं रोज घर जाकर तिजोरी खोल कर लक्ष्मीजी (धन) को ये बता देता हूं कि आज तुम्हें कितने लोगों ने नमस्ते व सलाम किया। इससे मेरे मन अभिमान या गलतफहमी नहीं आती कि लोग मुझे मान या इज्जत दे रहे है। इज्जत सिर्फ पैसों की हैं। इंसान की नहीं।
Source: Horoscope 2015