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Thursday, January 8, 2015

Benediction of children's festival 'Bhugga fast Ó today

अकसर लोहड़ी के बाद आने वाला संकट चतुर्थी 'भुग्गा व्रतÓ इस बार माघ मास के पहले सप्ताह वीरवार 8 जनवरी को मनाया जाएगा। बच्चों की मंगलकामना व ग्रहों की शांति के लिए रखे जाने वाले व्रत में इस्तेमाल होने वाली सामग्री गुड़, तिल, गन्ने, मूली सहित पूजा सामग्री की बुधवार को खूब खरीदारी हुई। संकट चतुर्थी पर पूरा दिन निर्जला व्रत रख शाम 8.46 बजे चंद्र के दर्शन कर महिलाएं व्रत खोलेंगी।

डुग्गर संस्कृति में विशेष महत्व रखने वाला भुग्गे का व्रत मौसम के बदलाव से जुड़ा हुआ है। डुग्गर समाज में ऐसी मान्यता है कि भुग्गे के व्रत के साथ ही सर्दी में कमी आना शुरू हो जाती है। चूंकि यह व्रत संकटचौथ से संबंध रखता है इसलिए महिलाएं संकटमोचन गणेश के साथ भगवान चंद्र की पूजा अर्चना कर उन्हें तिल और गुड़ से बने भुग्गे का प्रसाद लगाती हैं और व्रत की कामनापूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। इसके साथ ही भगवान को मूली और गन्ने का भोग भी लगाया जाता है। बाबा कैलख देव के महंत व ज्योतिषाचार्य रोहित शास्त्री ने बताया कि अधिकतर ये व्रत लोहड़ी के तीसरे दिन आता है। इस बार यह व्रत लोहड़ी पर्व से पहले आ रहा है। इसमें हालांकि कोई वहम वाली बात नहीं है। माघ मास पक्ष शुरू हो चुका है। वीरवार को संकट चतुर्थी से पहले दोपहर 3.57 बजे तक भद्रा रहेंगी। संकट चतुर्थी शाम 4.00 बजे शुरू होगी। इसलिए महिलाएं इसके बाद भी व्रत की तैयारियां शुरू करें। इसके अलावा जो महिलाएं इस दिन व्रत उदयापन का विचार कर रही हैं, वे भी शाम 4 बजे के बाद कर सकती हैं।

 व्रत की विशेष पूजा शाम 8.46 बजे पर चंद्रोदय के उपरांत की जा सकेगी। व्रत की सामग्री के साथ पूजा की चीजें खरीदने में व्यस्त गीता व राधा शर्मा ने बताया कि भुग्गा व्रत के दौरान महिलाएं नहा धोकर भगवान गणोश की पूजा अर्चना में जुट जाती हैं। सारा दिन व्रत निराहार किया जाता है। व्रत में पानी का सेवन भी नहीं किया जाता इसलिए यह व्रता काफी कठिन माना जाता है। हालांकि पूरा दिन पूजा की तैयारियों में निकल जाता है। तिल व गुड़ को पीस कर भुग्गे का विशेष प्रसाद तैयार किया जाएगा। वैसे तो भुग्गा हलवाई की दुकानों पर भी उपलब्ध होता है। हलवाई इसे सफेद तिल को खोए में मिलाकर बनाते हैं लेकिन घर में भुग्गा पीसकर बनाना शगुन समझा जाता है।