पहले का घटनाक्रम
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) और यूरोपीय संघ की शर्तों के आगे झुकने से ग्रीस ने मना कर दिया था। ग्रीस के इस फैसले के बाद उसका लोन से डिफॉल्ट करना और यूरो जोन से बाहर होना तय ही था। ग्रीस ने डिफॉल्ट की बात कुबूल करते हुए इससे बचाव के लिए यूरोपीय संघ से दो साल की मोहलत देने का अनुरोध किया था।
यूरोप के समय के मुताबिक मंगलवार को आधी रात तक ग्रीस को यूरोपीय संघ और मुद्राकोष की शर्तों को मानना था। इसके तहत आर्थिक सुधार करने होंगे और जनमत संग्रह में ‘हां’ पर वोटिंग के लिए समर्थन देना होगा।
इन शर्तों के मानने के बाद ही उसे आइएमएफ के 1.7 अरब डॉलर के कर्ज को चुकाने का दूसरा मौका मिलेगा। इस कर्ज को चुकाने की आखिरी तारीख 30 जून थी। मगर ग्रीस ने शाम तक अपने रुख को और कड़ा करते हुए इन शर्तों को मानने से मना कर दिया। प्रधानमंत्री एलेक्सिस सिप्रास ने लोगों से जनमत संग्रह में यूरोपीय संघ के प्रस्ताव को खारिज करने की अपील की है। इस बीच जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने ग्रीस के साथ और वार्ताओं से इन्कार कर दिया। यूरोपीय संघ ने कहा कि गेंद पूरी तरह से ग्रीस सरकार के पाले में है। ग्रीस मुद्राकोष के कर्ज चुकाने में विफल रहा तो उसे न सिर्फ यूरो जोन से बाहर कर दिया जाएगा, बल्कि यूरोपीय संघ से भी निकाला जा सकता है। ऐसा ही हुआ ग्रीस को डिफॉल्टर देश घोषित कर दिया गया।इसका पूरी दुनिया पर असर पडऩे का अंदेशा है।
खुला रहेगा रिजर्व बैंक
इस संकट के भारतीय शेयर व अन्य वित्तीय बाजारों पर पडऩे वाले संभावित असर को देखते हुए वित्त मंत्रालय और रिजïर्व बैंक की टीम पूरे हालात पर पैनी नजर रखने को तैयार है। परंपरा को तोड़ कर रिजर्व बैंक ने भी बुधवार यानी एक जुलाई को अपने कार्यालय खुले रखने का फैसला किया है। सालाना बंदी की वजह से आम तौर पर रिजïर्व बैंक एक जुलाई को बंद रहता है।
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