होली के बाद आने वाले दिन को भाई दूज कहते हैं। इस दिन देशभर में
भाई-दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 7 मार्च को है। यह
त्योहार भाई-बहन के आपसी स्नेह का प्रतीक माना गया है। इस दिन बहन अपने भाई
के माथे पर तिलक लगाकर उसे मिठाई खिलाती हैं और बदले में भाई अपनी बहन को
उपहार के साथ उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं।
भाई दूज की कहानी
बहुत समय पहले किसी नगर में एक भाई और बहन रहते हैं। बहन की शादी हो गई, तो बहन दूसरे गांव मे रहने लगती है। जब होली के बाद भाई-दोज आई तो भाई अपनी बहन से मिलने और टीका लगवाने के लिए बहन के गांव के लिए चल दिया।
भाई कुछ ही दूर चलता है कि रास्ते में एक नदी पड़ती है। भाई जैसे ही नदी पार करने लगता है नदी साक्षात् होकर कहती है, 'भाई मैं तुम्हें अपने साथ बहाकर ले जाना चाहती हूं।' तब भाई कहता है कि, 'आज भाई-दूज है और मेरी बहन मेरा इंतजार कर रही है।' मैं उससे टीका लगवाकर लौटूं, तब तुम मुझे अपने साथ ले जाना।
भाई थोड़ा और आगे चलता है तो रास्ते में एक दीवार गिरने लगती है। दीवार प्रकट होकर भाई से कहती है, कि 'मैं तुम पर गिरना चाहती हूं', तो भाई फिर वहीं दोहराता है कि आज भाई-दूज है और जब मैं बहन के घर से तिलक लगवाकर लौटूं, तब तुम मुझ पर गिर जाना।
भाई और आगे चलता है तो रास्ते में एक शेर मिलता है। शेर कहता है कि 'मैं तुम्हें खा जाऊंगा', तब भाई फिर वही बात दोहराता है।
आखिरकार भाई जैसे-तैसे अपनी बहन के घर पहुंचता है तो भाई को परेशान देखकर बहन उससे परेशानी की कारण पूछती है। भाई अपनी बहन को सबकुछ सच-सच बता देता है। बहन अपने भाई को समझाती है, कि वो चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा।
वो अपने भाई को लकड़ी के पटे पर बैठाकर उसे तिलक लगाती है, उसकी आरती उतारती है और उसे मिठाई खिलाती है। भाई भी बहन को ढेर सारे तोहफे देता है।
जब भाई अपने गांव की और लौट रहा होता है तो रास्ते में शेर उसे जाने देता है। दीवार नहीं गिरती और नदी भी जाने के लिए रास्ता दे देती है। तब से यह त्योहार हर वर्ष होली के दूसरे दिन मनाया जाने लगा।
भाई दूज की कहानी
बहुत समय पहले किसी नगर में एक भाई और बहन रहते हैं। बहन की शादी हो गई, तो बहन दूसरे गांव मे रहने लगती है। जब होली के बाद भाई-दोज आई तो भाई अपनी बहन से मिलने और टीका लगवाने के लिए बहन के गांव के लिए चल दिया।
भाई कुछ ही दूर चलता है कि रास्ते में एक नदी पड़ती है। भाई जैसे ही नदी पार करने लगता है नदी साक्षात् होकर कहती है, 'भाई मैं तुम्हें अपने साथ बहाकर ले जाना चाहती हूं।' तब भाई कहता है कि, 'आज भाई-दूज है और मेरी बहन मेरा इंतजार कर रही है।' मैं उससे टीका लगवाकर लौटूं, तब तुम मुझे अपने साथ ले जाना।
भाई थोड़ा और आगे चलता है तो रास्ते में एक दीवार गिरने लगती है। दीवार प्रकट होकर भाई से कहती है, कि 'मैं तुम पर गिरना चाहती हूं', तो भाई फिर वहीं दोहराता है कि आज भाई-दूज है और जब मैं बहन के घर से तिलक लगवाकर लौटूं, तब तुम मुझ पर गिर जाना।
भाई और आगे चलता है तो रास्ते में एक शेर मिलता है। शेर कहता है कि 'मैं तुम्हें खा जाऊंगा', तब भाई फिर वही बात दोहराता है।
आखिरकार भाई जैसे-तैसे अपनी बहन के घर पहुंचता है तो भाई को परेशान देखकर बहन उससे परेशानी की कारण पूछती है। भाई अपनी बहन को सबकुछ सच-सच बता देता है। बहन अपने भाई को समझाती है, कि वो चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा।
वो अपने भाई को लकड़ी के पटे पर बैठाकर उसे तिलक लगाती है, उसकी आरती उतारती है और उसे मिठाई खिलाती है। भाई भी बहन को ढेर सारे तोहफे देता है।
जब भाई अपने गांव की और लौट रहा होता है तो रास्ते में शेर उसे जाने देता है। दीवार नहीं गिरती और नदी भी जाने के लिए रास्ता दे देती है। तब से यह त्योहार हर वर्ष होली के दूसरे दिन मनाया जाने लगा।
View here : Daily and Weekly Horoscope
Source: Gadget Reviews India and Auto News
No comments:
Post a Comment